कुछ तो कहो

ऐ बुते संगेमरमर
बेजुबान है तू बे नज़र
न जिस्म मे तेरे लार्जिश१ कोई
न होटों पे कोई जुम्बिश२
न तेरी बाँहों मे कोई बल
तू है सिर्फ़ एक पत्थर
ऐ बुते संगे - मर्मर
तेरी बांसुरी बेसदा है
सुदर्शन तेरा थम गया है
इस दौर के कालिया नाग ने जैसे

तुझे डस लिया हो
सरे महफ़िल नीम उरियाँ है कोई
बिरह की आग मे जल कर
राख हो गई राधा कहीं
मगर तू है बेनयाज़ - ओ बेखबर ५
ऐ बुते- संगे मर्मर
रथों की घर घराहट
तीरों कमान ज़र्रार लश्कर ६
शोरो - गुल
चीखो पुकार
धनुष बांनोकी तन्कारें
जवां मर्दों की ललकारें
देख कर महाभारत का हश्र ७
लगता है तम जंग से घबरा गए
या
किसी दुर्योधन से डर गए
महा नीतीकार
अजीम हस्ती ८
घंटो की सदा
शंखनाद
अगर्बतियों का धुआं
मदन- मोहन- घन शाम
अपने नाम का
गुण गान सुनकर बारहा ९
मैदाने ज़ंग की निस्बत १०
तीरा तफंग११ की निस्बत
लगता है तुम्हें
मरमरी १२ मंदिरों की फजा १३
रास आ गई है कन्हीया
मगर
ये जुल्मो सितम
बेगुनाहों का कत्ल
कोन रोकेगा यह जोरो -जाबर
कुछ तो कहो
ऐ मालिक- ऐ दिनों इमां
क्यों खुदा से बुत बन गए हो
किसी संग तराश १४ के करिश्मा--१५ हुनर
ऐ बुते संगे मर्मर
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१ कम्पन २ कम्पन ३ आवाज रहित ४ अर्ध नग्न ५ लापरवाह ६ भारी फौज ७ परिणाम ८ महँ व्यक्तित्व ९ अनेक बार १० अनुपात ११ अस्त्र शास्त्र १२ मुलायम १३ वातावरण १४ मूर्तिकार १५ कौशल का चमत्कार