हम दोनों

तुम और मैं
यानि कि हम दोनों
कितने कमज़ोर
कितने बेबस
मजबूर भी हैं शायद
लेकिन
मायूस ओ अकेले तो नही
एक अजमे सफर तो है
दूर स्याह रातों के किनारों पर
रक्सां सहर तो है
हम उसके लिए चलते हैं
गुजरगाहों के सुर्ख पड़ावों से
ऐसा भी नही कि
हम बच के निकल जायें
ये किसने किया है -ये किसका लहू है
ये जाने बिना यारो
हर लाश के हमराह शब् भर
हम
चिरागों कि तरह जलते हैं
एक अजमे सफर है
दूर स्याह रातों के किनारों पर
वह जो एक
रक्सां सहर है
हम -
यानि कि हम दोनों
में और तुम
उसके लिए चलते हैं
चिरागों कि तरह जलते हैं