Madan Maholvi kee Nazmain , Kahaniya aur Tasveerain
Likhta hoon tou likhta hoon, dile-e-betaab kee tashqueen' ko ....
दीया
इक दीया हूँ किसी कुटिया मे जलाओ मुझको ।
अच्छा नही लग रहा ॥ सरे बज्म फरोजा रहना ॥
मदन
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