तू आयेगी कैसे ?

इक रात है अँधेरी
पुर पेच राहों पर
पत्थर हैं कांटें हैं
साए भूत से दरख्तों के .
खडाके खुशक खुशक पत्तों के
हवा के तेज तेज झोंके
आँचल से लिपट के
तेरी राह रोकेंगे
तू आएगी तो आयेगी कैसे ?


सुन सान सड़कों पे
बियाबान सड़कों पे
शहर के आवारा कुत्ते
कुत्तों की सदायें
खौफ जी पे छायेगा
पाँव लड़खडाएगे
तू आएगी, तो आयेगी कैसे ?

यूं तो तेरे और मेरे दरम्यान
इक छोटा सा फासला है
मगर मेरे गिर्दोनावाह
दूर तक , ताहद्दे नज़र
मुफ्लिसो
मजलूम लोगों का जमघट है
गोया हसरतों का पनघट है
उरिया नीम उरियाँ
भूख से फाकाकश,
मासूम बच्चै
मेरे आस पास रहते हैं
मुझे अपना समझते हैं

गुजर कर इन तंगो तारीक़ गलियों से
तू आएगी मेरे ख्यालों की परी
बहुत मुश्किल सा लगता है

मगर फिर भी , ना जाने क्यों
बुझते दीये की , कांपती सी लौ कहती है
तू आएगी
तू जरूर आयेगी ..............